सूरन की खेती में कम लागत में अच्छा मुनाफा कैसे प्राप्त करें? यहाँ उपलब्ध सब्सिडी का उपयोग करें

Aman Singh - Jun 7 - - Dev Community

सूरन (जिसे ओल और जिमीकंद के नाम से भी जाना जाता है) भारत में लोकप्रिय सब्जी और औषधीय महत्व वाला पौधा है। इसे "एलीफैंट फुट याम" के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्वादिष्ट सब्जी के अलावा, सूरन के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। वैज्ञानिक रूप से इसे अमोर्फोफैलुस कम्पानुलातुस (Amorphophallus campanulatus) कहा जाता है।

पहले सूरन की खेती केवल घरों के आसपास या किचन गार्डन में ही की जाती थी। लेकिन आजकल, किसान सूरन की खेती करके लाखों रुपये कमा रहे हैं। विदेशों में भी इसकी भारी मांग है, और इसका इस्तेमाल कई तरह की दवाइयां बनाने में भी होता है।

एक एकड़ में सूरन की खेती करके किसान अपनी लागत का चार से पांच गुना तक मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में सूरन की कई किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें गजेंद्र, एन-15, राजेंद्र ओल, संतरा गाची और कदली शामिल हैं।

सूरन की खेती कब की जाती है?

सूरन की खेती करने के लिए सही तकनीक जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि सही तरीके से किसान इसमें सफलता पा सकते हैं और लाखों की कमाई कर सकते हैं। सूरन या जिमिकंद की खेती अप्रैल से जून महीने तक की जाती है। अगर किसान के पास सिंचाई की सुविधाएं हैं, तो सूरन की बुवाई मार्च महीने में भी की जा सकती है।

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